यकृत (Liver) क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं

यकृत (Liver) क्या है?

यकृत शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में डायाफ्राम के नीचे स्थित होता है। यह लगभग 1.4 किलोग्राम वजन वाला अंग फुलदार से आकार का शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है। यह 500 से अधिक जीवनरक्षक कार्य करता है, जैसे विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना, पोषक तत्वों को संसाधित करना, और ऊर्जा का भंडार होता है 

लीवर सबसे बड़ा आंतरिक अंग है। सामान्य परिस्थितियों में,  Liver शरीर के दाईं ओर, पसलियों के नीचे स्थित होता है। साइटस इनवर्सस नामक स्थिति में, Liver बाईं ओर स्थित होता है।

यकृत क्या कार्य करता है?

  • विषहरण (Detoxification): रक्त से अल्कोहल, दवाओं, और चयापचय अपशिष्ट को फिल्टर करता है।
चयापचय (Metabolism): कार्बोहाइड्रेट, वसा, और प्रोटीन को ऊर्जा में बदलता है।
  • वसा उत्पादन: वसा के पाचन और वसा-घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) के अवशोषण में मदद करता है।
  • प्रोटीन संश्लेषण: एलब्युमिन और रक्त जमावट कारक बनाता है प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा का चयापचय करता है 
  • भंडारण: ग्लाइकोजन, आयरन, और विटामिनों को संग्रहित करता है।
  • प्रतिरक्षा कार्य: रक्त में मौजूद रोगाणुओं को नष्ट करता है।
  • अमीनो का यूरिया में परिवर्तन: अमीनोएसिड को यूरिया में बदलकर मूत्र से बाहर निकालता है।

यकृत के भाग कौन-कौन से हैं?

 यकृत रक्त को छानता है (साफ़ करता है), विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को निकालता है जो अंततः मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मानव यकृत मानव शरीर में एक अंग और ग्रंथि है
  • लोब: चार लोब—दायां, बायां, कॉडेट, और क्वाड्रेट।
  • लॉब्यूल्स: कार्यात्मक इकाइयाँ जो हेपेटोसाइट्स से बनी होती हैं।
  • रक्त आपूर्ति: यकृत धमनी (ऑक्सीजन युक्त रक्त) और पोर्टल शिरा (आंत से पोषक तत्व युक्त रक्त) द्वारा दोहरी आपूर्ति। 
  • पित्त नलिकाएं: पित्त को आंतों तक पहुंचाने वाला नेटवर्क।

यकृत को प्रभावित करने वाले रोग और विकार

  1. हेपेटाइटिस (A, B, C या दवा/शराब से)
  2. सिरोसिस (पुरानी क्षति से घाव बनना)
  3. फैटी लिवर (NAFLD या AFLD)
  4. यकृत कैंसर
  5. आनुवंशिक विकार (हेमोक्रोमैटोसिस, विल्सन रोग)
  6. ऑटोइम्यून रोग (कोलेन्जाइटिस, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस)

यकृत समस्याओं के लक्षण क्या हैं?

पीलिया होने पर, रक्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन के कारण त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है। बिलीरुबिन का उच्च स्तर लीवर में संभावित समस्या का संकेत देता है।
  • पीलिया (त्वचा/आँखों का पीला पड़ना)
  • पेट दर्द या सूजन
  • गहरा पेशाब, हल्का मल
  • थकान, मतली, भूख न लगना
  • चोट लगने पर ज्यादा खून बहना
  • खुजली, भ्रम (गंभीर अवस्था)

यकृत को स्वस्थ कैसे रखें?

  1. अल्कोहल सीमित करें: अत्यधिक शराब से बचें।
  2. स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज खाएँ; प्रोसेस्ड खाना न लें।
  3. व्यायाम: फैटी लिवर रोकने के लिए वजन नियंत्रित रखें।
  4. टीकाकरण: हेपेटाइटिस A और B के टीके लगवाएं।
  5. विषाक्त पदार्थों से बचें: रसायनों के साथ सुरक्षा उपकरण पहनें; सुई साझा न करें।
  6. दवाओं में सावधानी: पेरासिटामॉल जैसी दवाओं की खुराक का पालन करें।
  7. अपने हाथ बार-बार धोएँ। साबुन लगा कर धोएँ

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

निम्न लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की दिखाएँ:

  • लगातार पीलिया, पेट दर्द, या सूजन।
  • बिना वजह वजन घटना, खून की उल्टी, या काला मल।
  • मानसिक भ्रम (यकृत संबंधी मानसिक विकार)।
  • अल्कोहल का अधिक सेवन या हेपेटाइटिस का जोखिम।

यकृत समस्याओं का जोखिम किन्हें है?

जोखिम कारक:

  • अत्यधिक अल्कोहल सेवन।
  • बहुत अधिक शराब ना पीना।
  • मोटापा या मधुमेह।
  • वायरल हेपेटाइटिस संक्रमण।
  • यकृत रोग का पारिवारिक इतिहास।
  • विषाक्त पदार्थों/रसायनों का संपर्क।
  • असुरक्षित यौन संबंध या अस्वच्छ टैटू/पियर्सिंग।

क्लिनिक्लैंड क्लिनिक का नोट

यकृत एक मजबूत अंग है, लेकिन जीवनशैली के गलत विकल्प इसके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। नियमित जांच और रक्त परीक्षण (जैसे लिवर फंक्शन टेस्ट) से समय पर पता लगाकर जान बचाई जा सकती है। यदि लक्षण दिखें या चिंता हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

यह जानकारी यकृत के स्वास्थ्य और रोगों से जुड़े सभी पहलुओं को सरल और चिकित्सकीय रूप से सटीक तरीके से समझाती है।

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